1993 में आई एक्टर की डबल रोल वाली फिल्म ने मचाया धमाल, सनी देओल, संजय दत्त और शाहरुख तक को छोड़ा पीछे

1993 में आई एक्टर की डबल रोल वाली फिल्म ने मचाया धमाल, सनी देओल, संजय दत्त और शाहरुख तक को छोड़ा पीछे

साल 1993 हिंदी सिनेमा के लिए यादगार था। यह वह दौर था जब बॉलीवुड में नई पीढ़ी के सितारे अपने पैर जमा रहे थे — शाहरुख खान ‘डर’ और ‘बाज़ीगर’ जैसी फिल्मों से निगेटिव रोल में भी स्टार बन रहे थे, संजय दत्त ‘खलनायक’ की बदौलत सुर्खियों में थे, और सनी देओल की ‘दामिनी’ और ‘लूटेरे’ जैसी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचा रही थीं। लेकिन इन सबके बीच एक ऐसा हीरो था जिसकी एक डबल रोल वाली फिल्म ने सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए और साल की सबसे ज्यादा कमाने वाली फिल्म बन गई।

ये हीरो था गोविंदा — और फिल्म थी ‘आँखें’

जी हाँ, आपने सही पहचाना। 1993 की सबसे बड़ी हिट फिल्म का ताज गोविंदा की सुपरहिट कॉमेडी-एक्शन फिल्म ‘आँखें’ के सिर बंधा था। इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर न सिर्फ तहलका मचाया, बल्कि उस साल की सभी बड़ी स्टारकास्ट वाली फिल्मों को पीछे छोड़ दिया। फिल्म का निर्देशन डेविड धवन ने किया था और इसमें गोविंदा ने डबल रोल निभाकर अपनी वर्सेटिलिटी का ऐसा प्रदर्शन किया, जिसे देखकर लोग दंग रह गए।

‘आँखें’ क्यों थी इतनी खास?

‘आँखें’ सिर्फ एक कॉमेडी फिल्म नहीं थी। इसमें एक्शन, इमोशन, म्यूजिक और थ्रिल का परफेक्ट कॉम्बिनेशन था। गोविंदा का डबल रोल – एक शरीफ भाई और दूसरा शरारती, मस्तमौला – दर्शकों को बहुत भाया। उनके साथ राज बब्बर, चंकी पांडे, किरण कुमार, रितु शिवपुरी और राखी जैसे एक्टर्स ने फिल्म को मजबूती दी।

फिल्म की कहानी दो शरारती भाइयों और एक ग़लतफहमी से शुरू होती है, जो धीरे-धीरे एक बड़े क्राइम मिस्ट्री में बदल जाती है। कॉमेडी से लेकर सीरियस मोमेंट्स तक, हर सीन को बड़े ही बैलेंस के साथ पेश किया गया।

कमाई के मामले में रिकॉर्ड तोड़ प्रदर्शन

1993 में जहां ‘खलनायक’, ‘डर’ और ‘बाज़ीगर’ जैसी हाई बजट फिल्मों की चर्चा थी, वहीं ‘आँखें’ ने 14 करोड़ रुपये से भी ज़्यादा की कमाई की, जो उस समय के लिहाज से चौंकाने वाला आंकड़ा था। यह फिल्म उस साल की सबसे बड़ी ग्रॉसर बनी, और इसकी सक्सेस ने डेविड धवन और गोविंदा की जोड़ी को “हिट मशीन” के तौर पर स्थापित कर दिया।

गोविंदा: मासेस का हीरो

गोविंदा को उस दौर का “क्लासिक मैन ऑफ द मासेस” कहा जाए तो गलत नहीं होगा। न तो उनके पास शाहरुख जैसी रोमांटिक इमेज थी, न ही सनी देओल जैसा दमदार एक्शन अवतार, और न ही आमिर खान जैसी गंभीरता। लेकिन उनकी टाइमिंग, एनर्जी और स्क्रीन प्रेजेंस ऐसी थी कि ऑडियंस सीट से चिपक कर रह जाती थी। ‘आँखें’ में उन्होंने ये साबित कर दिया कि बिना भारी-भरकम डायलॉग्स या स्टंट्स के भी कोई फिल्म सुपरहिट हो सकती है — बस एक्टर में “connect” होना चाहिए।

‘आँखें’ की लिगेसी

आज भी जब ‘आँखें’ टीवी पर आती है, लोग रिमोट रोककर बैठ जाते हैं। इसके कई सीन्स और डायलॉग्स जैसे “हम दो हमारे दो” और “गोविंदा के स्टाइल वाला डांस” आज भी मीम्स और सोशल मीडिया में ट्रेंड करते हैं। फिल्म की लोकप्रियता इतनी थी कि इसके कई रीमेक और टीवी शोज़ पर भी असर देखा गया।

1993 को बॉलीवुड का क्रांतिकारी साल कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। उस साल के सबसे बड़े सितारे अपनी-अपनी जगह पर चमक रहे थे, लेकिन गोविंदा की ‘आँखें’ ने सबको चौंकाते हुए साल की सबसे ज्यादा कमाने वाली फिल्म बनकर यह जता दिया कि स्टारडम सिर्फ नाम से नहीं, काम से बनता है। और जब बात मास एंटरटेनमेंट की हो, तो गोविंदा जैसा कोई नहीं।

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