बघेली भाभी” Leela Sahu: पेट में बच्चा, आवाज़ बुलंद और सड़क की लड़ाई

बघेली भाभी” Leela Sahu: पेट में बच्चा, आवाज़ बुलंद और सड़क की लड़ाई

Leela Sahu, जिन्हें सोशल मीडिया पर प्यार से “बघेली भाभी” कहा जाता है, फिर से सुर्खियों में हैं। इस बार वजह है एक गर्भवती माँ की ज़ोरदार आवाज़ — और मामला कोई छोटा-मोटा नहीं, गांव की रूप-रंग बदल देने वाली सड़क का है।

कौन है Leela Sahu?

Leela Sahu मध्य प्रदेश के सीधी जिले की रहने वाली हैं, जहां वो हाल ही में 9 महीने की गर्भवती हैं। लेकिन मजबूर हालात ने उनकी आवाज़ को चुप नहीं रहने दिया। वो सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर हैं, बघेली भाषा में रील और वीडियो बनाती हैं — और जो मुद्दा उठाएं, सीधा दिल से निकलता है ।

सड़क कैसे बनी नरक?

गड्डी खुर्द से सेंधवा व गजरी तक की सड़क लगभग 10 किलोमीटर खाई जैसी है।

बरसात में तो ये लोकल लोगों के लिए जानलेवा जंग बन जाती है — ट्रक फंसता है, बस फिसलती है, चलना नामुमकिन हो जाता है ।

Leela ने क्या किया?

उन्होंने पीएम मोदी, नितिन गडकरी, सीएम, सांसद — सबको टैग करते हुए रील बनाई है।

उनका कहना: “29 सीटें तो लाकर दीँगें, लेकिन हमारी सड़क क्यों नहीं बन पा रही?”

गर्भ के 9वें महीने में खड़ी होकर सड़क की स्थिति दिखाई — ये इतना वायरल हुआ कि PWD मंत्री ने भी जवाब दे दिया: “कोई पोस्ट डाल देगा तो बजट से कब बन पाएंगे सड़क?” ।

 

नेताओं और अधिकारियों की प्रतिक्रिया

PWD मंत्री: “हर सोशल पोस्ट पर सड़क नहीं बना सकते, बजट सीमित है।”

बीजेपी सांसद: Leela से पूछा, “डिलीवरी की डेट दे दो, अस्पताल में भर्ती करा देंगे।” कई लोग इसे गलत और insensitive बता रहे हैं ।

 

 इसे क्यों खास माना जा रहा है?

1. गर्भवती महिला का दमढ़ार संघर्ष – ज़िंदा मिसाल।

2. सोशल मीडिया का पॉवर – वीडियो ने प्रशासन को सीधा झकझोड़ा।

3. सच्ची आवाज़ का असर – जनता की सहानुभूति और मीडिया की बहस ने इसे ट्रेंड बना दिया।

4. ग्राम विकास का सच सामने आया – योजनाएं तो बैठकों में हैं, लेकिन धरातल पर सड़क नहीं ।

ये सिर्फ Leela की लड़ाई नहीं…

ये ग्राम्य भारत के उन मुद्दों की तस्वीर है, जिन पर अक्सर बीमारी, शिक्षा, सड़क जैसे मूलभूत अधिकारों की लड़ाई अभी भी चलती है।

Leela जैसे लोक स्तर के नायक जब उठकर बोलते हैं, तो समाज और सिस्टम दोनों को झकझोर देते हैं।

आगे क्या हो सकता है?

प्रशासन ने कहा है कि प्रस्ताव भेजा गया है, वन विभाग की मंज़ूरी बाकी है ।

जनता और मीडिया की निगाह अब इन अधिकारियों पर टिकी है — सड़के कब बनेंगी और वादा कब पूरा होगा।

Leela Sahu ने एक गर्भवती मां होने के बावजूद वह किया, जो अक्सर हम सिर्फ सोचते रहते हैं — तरक्की, शोषण और सिस्टम को चुनौती देना।
उनकी लड़की—और पूरे गाँव की— जीवनरेखा सच में तभी सुधरेगी जब उनकी आवाज़ फिर से सिस्टम को झकझोड़ेगी।

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